इजरायली सेना ने हमले पर सफाई दी कि उनका निशाना हमास का एक आतंकी था और बेगुनाहों की मौत पर उन्हें खेद है। वहीं, मेडिकल सेंटर संचालित करने वाले NGO ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया।

इजरायल की ओर से गाजा पट्टी पर हमले लगातार जारी हैं। हाल ही में हुए एक हमले में इलाज के लिए लाइन में खड़े 15 लोगों की जान चली गई, जिनमें 10 बच्चे और 5 वयस्क शामिल थे। यह हमला 10 जुलाई की सुबह उस वक्त हुआ, जब लोग मेडिकल सेंटर के बाहर गेट खुलने का इंतजार कर रहे थे। बीते 24 घंटों में इजरायली हमलों में गाजा पट्टी में अब तक 82 लोगों की मौत हो चुकी है।
जिस क्लिनिक के पास बम गिराया गया, वह अमेरिकी एनजीओ ‘प्रोजेक्ट होप’ का मेडिकल सेंटर था, जहां कुपोषण, संक्रमण और अन्य बीमारियों का इलाज किया जाता है। दी गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, एनजीओ प्रमुख रबीह तुर्बे ने बताया कि क्लिनिक की लोकेशन पहले ही इजरायली सेना को साझा कर दी गई थी, इसके बावजूद वहां हमला किया गया। हमले के बाद क्लिनिक में इलाज को अगली सूचना तक बंद कर दिया गया है।
रबीह तुर्बे ने कहा, “लोग मेडिकल सेंटर के खुलने का इंतजार कर रहे थे और बाहर लाइन में खड़े थे, तभी उन मासूम परिवारों पर बर्बर हमला हुआ। यह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन है। सेंटर पर मौजूद चश्मदीदों की गवाही बेहद दर्दनाक है।”
इलाज के लिए लाइन में खड़े 35 वर्षीय मोहम्मद अबू ओउदा ने कहा, “हमारी क्या गलती थी? हमारे बच्चों की क्या गलती थी? मैंने अपनी आंखों से देखा कि एक मां अपने बच्चे को गले लगाए जमीन पर पड़ी थी, और दोनों ने पल भर में दम तोड़ दिया।” CNN की रिपोर्ट में एक वीडियो का ज़िक्र है, जिसमें कई घायल और बेसुध बच्चे जमीन पर पड़े नजर आते हैं। कुछ को खून से लथपथ हालत में ठेलों पर ले जाया गया।
इस हमले को लेकर इजरायली सेना की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। सेना ने कहा है कि उनका निशाना हमास के वे आतंकी थे जिन्होंने 7 अक्टूबर 2023 के हमले में हिस्सा लिया था। हमले का उद्देश्य केवल उन्हें मारना था, लेकिन अगर इस दौरान निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचा है, तो हमें इसका खेद है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।
यह हमला ऐसे वक्त में हुआ है जब इजरायल और गाजा के बीच संघर्षविराम की कोशिशें जारी हैं, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हाल ही में अमेरिका दौरे पर भी गए थे। उम्मीद जताई जा रही थी कि वहां अस्थायी सीजफायर पर कोई सहमति बन सकती है, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही।
नेतन्याहू ने अपने वीडियो बयान में कहा कि इजरायल 60 दिनों के लिए संघर्षविराम के लिए तैयार है, बशर्ते हमास उसके बाकी बचे 50 बंधकों को रिहा कर दे। हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि इन बंधकों में से कई की मृत्यु हो चुकी है।
नेतन्याहू ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर बातचीत से सहमति बनती है तो बेहतर होगा, लेकिन यदि 60 दिनों में मांगें पूरी नहीं होतीं, तो हम वैकल्पिक कदम उठाएंगे और सैन्य कार्रवाई करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दोनों पक्ष अस्थायी संघर्षविराम पर सहमत हो जाते हैं, तो भविष्य में स्थायी सीजफायर पर भी बातचीत संभव है.
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